Not known Facts About Shodashi
Wiki Article
क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
रागद्वेषादिहन्त्रीं रविशशिनयनां राज्यदानप्रवीणाम् ।
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥
साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।
यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे
ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य
देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
Her Tale involves famous battles in opposition to evil forces, emphasizing the triumph of fine more than evil plus the spiritual journey from ignorance to enlightenment.
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
देव्यास्त्वखण्डरूपायाः स्तवनं तव तद्यतः ॥१३॥
हादिः काद्यर्णतत्त्वा सुरपतिवरदा कामराजप्रदिष्टा ।
, variety, where she sits atop Shivas lap joined in union. Her qualities are endless, expressed by her five Shivas. The throne upon which she sits has as its legs the five varieties of Shiva, the well known Pancha Brahmas
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो check here जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।